poem

हम ही तो सपना हैं

“हम ही तो सपना हैं” हम ही तो सपना हैं, अपने और अपनों का,हम ही तो सहारा हैं माँ-बाबूजी की आँखों का।किया क्या खता हमने, बस हक़ की बात कही,सालों की मेहनत पर क्यों ये आफ़त पड़ी? कुछ भ्रष्टाचारी बैठे…